लाखों पेड़ो की कटाई में कॉरपोरेट और सरकार की मिलीभगत: पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू
शाहबाद के घने जंगल का जाजू ने किया अवलोकन
भीलवाडा। शाहबाद का जंगल बारां जिले की प्राकृतिक धरोहर है एवं बारां का पर्यावरण संतुलन शाहबाद के सैकड़ो वर्ष पुराने जंगलों पर आधारित है जहां से यदि 1.19 लाख पेड़ों को काटा जाता है तो निश्चित रूप से पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होगा। यह बात इंटेक कन्वीनर एवं पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने बारां इंटेक कन्वीनर जितेंद्र शर्मा के नेतृत्व में शाहबाद घाटी संरक्षण समिति द्वारा आयोजित पेड़ों को बचाने के आंदोलन के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। जाजू ने कहा कि पेड़ों के कटाई से 3 डिग्री तक तापमान बढ़ने के साथ ही वर्षा का अनुपात कम होगा जो प्राकृतिक आपदाओं को निमंत्रण देगा। बारां के पर्यावरण प्रेमी प्रशांत पाटनी, विट्ठल सनाढ्य, वरदान सिंह हाडा, बृजेश विजयवर्गीय, रूपेश सेठी, भानु गुप्ता, मुकेश मीणा, सुरेंद्र सिंह गौड़ ने हाथों में तख्तियां लेकर शाहबाद जंगल का अवलोकन करने के बाद प्रदर्शन किया एवं विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चाहे प्राण चले जाए, किसी भी कीमत पर पेड़ नहीं काटने देंगे। जाजू ने कहा कि संघर्ष समिति जंगलों को बचाने के लिए हर तरह से आंदोलन को तैयार है। जाजू ने आगे कहा कि पेड़ों की कटाई में निश्चित रूप से कॉरपोरेट जगत और सरकार की मिलीभगत है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में लाखों पेड़ों को बचाने के लिए इंटेक संस्था द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 51 हजार पोस्टकार्ड लिखने का अभियान के तहत बारां जिले के पत्रकारों ने भी वृक्षों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पोस्टकार्ड लिखे। बारां गूंजेड के प्रशांत पाटनी एवं किशनगंज के प्रमोद कुमार राठौड़ ने 1-1 हजार पोस्टकार्ड भेजने का संकल्प व्यक्त किया।
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