कपास विकास सहभागी परियोजना का शुभारंभ

पंकज पोरवाल | 22 Jun 2023 01:27

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, भीलवाड़ा। राजस्थान में कॉन्फिडरेशन ऑफ इंडियन टैक्सटाइल इंडस्ट्री कॉटन डेवलपमेंट एंड रिसर्च एसोसिएशन के माध्यम से 2007 से राजस्थान में कपास विकास सहभागी परियोजना चल रही है। राजस्थान के 9 जिलों में कपास का क्षेत्र एवं प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ाने में योगदान रहा है। 2007 में भीलवाड़ा जिले की औसत पैदावार 214 किलो लिंट प्रति हेक्टेयर थी आज औसत पैदावार 940 किलो लिंट है। उस समय लोअर राजस्थान में कपास की पौने दो लाख गांठे पैदा होती थी आज 1300000 गांठे पैदा हो रही है। इस योजना के अंतर्गत इस वर्ष भीलवाड़ा जिले में रायपुर एवं सुवाणा शाहपुरा जिले में बनेड़ा तहसील को लिया गया है। इस योजना का शुभारंभ प्रसार कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से पूर्व उपनिदेशक कृषि पीएन शर्मा ने भुणास गांव से किया। शर्मा ने उत्पादन बढ़ाने के मूल मंत्र दिए। उनका कहना था की किसान पौधों की संख्या बढ़ाएं। पौधे से पौधे की दूरी सुविधानुसार 1 से 2 फीट कम करें। अधिक पैदावार के लिए आखरी निराई गुड़ाई के बाद पौधों पर मिट्टी चढ़ाकर डोली बनावे। 5 फीट की फसल होते ही पौधों का ऊपरी सिरा तोड़ दे जिसे डी टॉपिंग कहते हैं। खर्चा कम करने के लिए गोमूत्र एवं खट्टी छाछ का दो बार छिड़काव करें। एन पी के खाद प्लस सूक्ष्म तत्व का छिड़काव अवश्य करें जिससे कपास में लाल पत्ते पडने की बीमारी एवं पैराविल्ट की बीमारी का नियंत्रण होगा। इस बार फसल में माई कोराइजा फफूंदी का प्रयोग अवश्य करें पैदावार निश्चित रूप से बढ़ेगी। शर्मा ने बढ़ते हुए रेगिस्तान को रोकने के लिए सामूहिक प्रयत्न करने के गुर बताएं वर्षा के दिनों में किसान जंगली पौधों के बीज जहा गांवों में पहाड़ियों है व चरागाह में फेंक कर आवे। प्राकृतिक रूप से उगे हुए पौधे अधिक जीवित रहेंगे। अपने खेत के चारों और फलदार पौधे लगाएं यह पर्यावरण को तो ठीक करेगा ही साथ ही गांव में फल खाने की आदत बनेगी। कपास की पैदावार बढाना एवं क्षेत्र का विकास करने के लिए भारत सरकार ने भीलवाड़ा जिले को पायलट प्रोजेक्ट दिया गया है जिसमें 600 किसानों के यहां पास पास बुवाई एवं उन्नत कृषि क्रियाएं को प्रदर्शित किया जाएगा। अंत में उनने राजस्थान टैक्सटाइल मिल एसोसिएशन एवं कृषि विभाग के सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।

राजस्थान टैक्सटाइल मिल एसोसिएशन दे रही है आर्थिक सहयोग 

इस परियोजना को राजस्थान टैक्सटाइल मिल एसोसिएशन जिसके चेयरमैन डॉक्टर एसएन मोदानी है आर्थिक सहयोग लगातार दे रही है डॉक्टर मोदानी निरंतर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इस वर्ष उन्होंने जयपुर में वस्त्र उद्योग का कॉन्क्लेव जयपुर में आयोजित करवाया।

जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें 

परियोजना में प्रत्येक किसान अपने खेत में कुछ क्यारियों में बरसात के मौसम में भिंडी, चंवला, ग्वार लगाएं बॉर्डर पर लौकी, तरोई, कद्दू, बालन ककड़ी की बेले लगा ले इन सब में रसायनिक खाद एवं दवाओं का प्रयोग नहीं कर जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। ग्रामीणों में सब्जी का प्रयोग कम होता है साथ ही जो सब्जियां बाजार से खरीदी जाती है उसमें कीटनाशकों के भारी मात्रा में अवशेष होते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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