उत्तराखंड UCC बिल पास करने वाला पहला राज्य:CM धामी बोले- यह देवभूमि का सौभाग्य जो यह अवसर मिला

Dainik bhilwara | 07 Feb 2024 05:26

Uniform Civil Code Bill: उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पास, बनेगा समान  कानून लागू करने वाला पहला राज्य - UCC bill passed in Uttarakhand Assembly  ntc - AajTak

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, देहरादूनउत्तराखंड ने आज इतिहास रच दिया। विधानसभा में चर्चा के बाद आज समान नागरिक संहिता का बिल पास हो गया। दिनभर विधानसभा में बिल को लेकर चर्चा हुई वहीं, इसके बाद सीएम का संबोधन हुआ। शाम को यूसीसी बिल ध्वनिमत से पास कर दिया गया। इसके साथ ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। अब इस बिल को राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास जाएगा। सीएम पुष्कर धामी ने 6 फरवरी को विधानसभा में यह बिल पेश किया था। साथ ही आंदोलनकारियों के आरक्षण का बिल भी सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।

राज्यपाल की मुहर लगते ही यह बिल कानून बन जाएगा और सभी को समान अधिकार मिलेंगे। भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में UCC लाने का वादा किया था। इस बिल के कानून बनते ही उत्तराखंड में लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा। ऐसा नहीं करने पर 6 महीने तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी भी गैर-कानूनी मानी जाएगी। बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा- आज का ये दिन उत्तराखंड के लिए बहुत विशेष दिन है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि उनकी प्रेरणा से और उनके मार्गदर्शन में हमें ये विधेयक उत्तराखंड की विधानसभा में पारित करने का मौका मिला। मैं विधानसभा के सभी सदस्यों, जनता का आभार व्यक्त करता हूं। उनके समर्थन से ही हम आज ये कानून बना पाए हैं। ये कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए, बल्कि उन माताओं बहनों का आत्मबल बढ़ाएगा, जो किसी प्रथा, कुरीति की वजह से प्रताड़ित होती थीं। इस दौरान सीएम धामी ने यूसीसी विधेयक को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि कल से लगातार इस विधेयक पर सार्थक चर्चा हुई। यह कोई सामान्य विधेयक नहीं है। वास्तव में देव भूमि उत्तराखंड का सौभाग्य है जो यह अवसर मिला है। भारत में कई बड़े प्रदेश हैं लेकिन यह अवसर उत्तराखंड को मिला है। हम सब इस बात को लेकर गौरवान्वित हैं कि हमें इतिहास लिखने का अवसर मिला। साथ ही देवभूमि से देश को दिशा दिखाने का अवसर इस सदन के प्रत्येक सदस्य को मिला। 

2022 को इसका संकल्प लिया: सीएम धामी

हमने 12 फरवरी 2022 को इसका संकल्प लिया था। इसे जनता के सामने रखा था। करीब दो साल में आज सात फरवरी को हमने इसे सदन से पास करवाया। देश के अन्य राज्यों से भी हमारी अपेक्षा रहेगी कि वह इस दिशा में आगे बढ़ें। उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव के समय हमारी पार्टी ने संकल्प लिया था, इसे आगामी चुनाव के नजरिये से न देखा जाए।

जाति, धर्म व पंथ के रीति-रिवाजों से छेड़छाड़ नहीं

विधेयक में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए हैं उनमें जाति, धर्म अथवा पंथ की परंपराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे। खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य

- विधेयक में 26 मार्च वर्ष 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

- ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण का प्रावधान।

- पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड का प्रावधान।

- पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।

- विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष तय की गई है।

- महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।

- हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया गया है। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।

- कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।

- एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।

- पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।

संपत्ति में बराबरी का अधिकार

- संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।

- जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।

- नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।

- गोद लिए, सरगोसी के द्वारा असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।

- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।

- कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।

लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना अनिवार्य

- लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।

- युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।

- लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।

- लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।

- अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।

गोद लेने का कोई कानून नहीं

समान नागरिक संहिता में गोद लेने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है।

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