शब ए कद्र की रात इनाम, इबादत और दुआओ की रात

Dainik bhilwara | 08 Apr 2024 09:40

काछोला। रमज़ानुलमुबारक माह के मुकद्दस मौके पर 26 वें रोजे की इफ्तार के बाद शब कद्र रात को मनाई गई। सबसे अफजल रातों में गिनी जाने वाली इस रात में अकीदतमंदों ने पूरी रात जागकर इबादत की और गुनाहों की तौबा भी की। इस रात में रमजान माह के दौरान रखे गए रोजे कबूल करने की दुआ भी खुदा की बारगाह में की गई।

शब-ए-कद्र की तैयारियां एक दिन पहले ही जोर शोर से की गई थी। रमजान मुबारक के तीसरे असरे की 27वीं शब को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है। इसी मुकद्दस रात में कुरआन भी मुकम्मल हुआ। रमजान के तीसरे असरे की पांच पाक रातों में शब-ए-कद्र को खोजा जाता है। ये इबादत की रात है। इसी दिन रोजा रखा गया और कुरान पूरे किए गए। जिन मस्जिदों में तराबीह की नमाज अदा की गई, वहां कुरान हाफिजों का सम्मान किया गया। साथ ही सभी मस्जिदों में नमाज अदा कराने वाले इमाम साहेबान का भी मस्जिद कमेटियों की तरफ से इनाम-इकराम देकर इस्तकबाल किया गया। शबे कद्र को रात भर इबादत के बाद मुस्लिम भाई अपने रिश्तेदारों, अजीजो-अकारिब की कब्रों पर फूल पेश कर फातिहा पढ़ी। साथ ही मगफिरत (मोक्ष) के लिए दुआएं भी मांगी।

रमजान शरीफ का पूरा महीना ही बरकतों वाला है, मगर रमजान महीने का तीसरा और अंतिम अशरा यानी 20 रमजान से 30 रमजान तक की अवधि की अपनी विशेष अहमियत है क्योंकि इसी अशरे में " शबे-ए-कदर " भी है। यानी पांच वह रातें जिसमें एक रात की इबादत का शवाब 70 हजार रातों की इबादत के बराबर है। यह बातें जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद शाह आलम ने इफ्तारी के वक्त रोजेदारों को रमजान की फजीलत को बयान करते हुए कही। उन्होंने बताया कि रमजान के 30 दिन के रोजे को 10-10 दिन के तीन भागों में बांटा गया है जिसमें पहला अशरा रहमत, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से निजात (छुटकारा) का है। रमजान का 25 वां रोजा है और यह तीसरा अशरा चल रहा है। इस तीसरे अशरे में पाँच रातें " शबे-ए-कदर " हैं जो कि रमजान की 21वी, 23वी, 25वी, 27 वी एंव 29 वी शब ए कद्र को हैं। 

  इस एक रात की इबादत का सवाब 70 हजार रातों की इबादत (प्रार्थना) के बराबर होता है। इसलिए हर रोजेदार को चाहिए कि वह इन रातों में खूब इबादत करे और अल्लाह ताला से अपने गुनाहों की माफी मांगे। अल्लाह अपने नेक बन्दों के बड़े से बड़े गुनाहों को भी माफ़ फरमाता है।रब से गिड़गिड़ाकर बंदा जब अपने गुनाहों की माफी मांगता है और बुराईयों से बचने के लिए दुआ करता है यह आखिरत के अकाउंट में मगफिरत की क्रेडिट है इबादत। इस मौके पर सदर हाजी शरीफ मोहम्मद मंसूरी, मोहम्मद यूनुस रंगरेज, रफीक मोहम्मद मंसूरी, हाजी रमजान अली बिसायती, बाबू मेवाती, मुबारिक हुसैन मंसूरी,मोहम्मद शाबीर रंगरेज, अब्बास अली, हाजी अब्दुल सलीम,फारूक बागवान, फरीद,आरिफ मोहम्मद,मुबारिक रंगरेज,नन्हे खान, शाहरुख, अकरम, साहिल, फिरोज, उम्मेद अली, शरीफ मोहम्मद सहित सैकड़ों रोजेदार मौजूद थे।

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