मानसिक शांति स्वयं के हाथों में -आचार्य महाश्रमण
आज आचार्यश्री ने पूर्व मुनि गौतम कुमार को 01 सितम्बर 2021 भीलवाड़ा में पुनः दीक्षा प्रदान करने की घोषणा की।
पूज्य प्रवर ने बताये समाधि प्राप्ति के सूत्र
शांतिदूत की सन्निधि में पहुंचे पत्रकारगण
दैनिक भीलवाड़ा न्यूज- जैन एकता के संपोषक संत शिरोमणि पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का भीलवाड़ा में सानन्द चातुर्मास गतिमान है। आदित्य विहार, तेरापंथ नगर परिसर तो ऐसा प्रतीत होता है मानों कोई आध्यात्मिक मेला लगा हुआ हो। देश भर से भी शांतिदूत के दर्शनार्थ श्रद्धालुओं का आवागमन निरन्तर जारी है। शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण ने अपनी धर्म देशना में कहा- व्यक्ति के मन में अगर कोई उलझन आजाये तो फिर जब तक समाधान नहीं मिलता तब तक5 शांति नहीं मिलती। अगर उत्तर सही नहीं मिले तो फिर मन भी असमाधिमय, अशांत बन जाता है। प्रश्न करने वाला अपनी सीमा में स्वंत्रत होता है, उत्तर देने वाला परतंत्र होता है। उत्तर दाता की सफलता इसी में होती है कि वह संतोषजनक उत्तर दे सके। विषय का जानकार हो वही उचित उत्तर दे सकता है। कौनसा प्रश्न किससे पूछना यह विवेक जरूरी है। ठाणं सूत्र में समाधि के दस प्रकार बताए गए हैं जिससे आत्मा को समाधि मिल सके। आचार्यवर ने आगे फरमाया कि व्यक्ति की मानसिक शांति, समाधि और असमाधि उसके स्वयं के हाथ में होती है, दूसरे तो अंशमात्र निमित्त बनते है। अगर जीवन को समाधिमय, शांतिमय बनाना है तो दिमाग में हर किसी बात को ग्रहण नहीं करना चाहिए। दिमाग अनुपयोगी बातो से परे रहेगा तो समाधि बनी रहेगी। व्यक्ति को अपने जीवन में हिंसा, झूठ, चोरी, बेईमानी, परिग्रह आदि अवगुणों से दूर रहना चाहिए। ये चीजें व्यक्ति को असमाधि की ओर ले जाते है। इनसे बचकर व्यक्ति को अपना जीवन समाधिस्थ बनाने का प्रयास करना चाहिए।कार्यक्रम में अक्षय छाजेड़, प्रज्ञा चक्षु शांतिलाल चोरडिया, अर्जुन मेडतवाल, सुश्री ऐश्वर्य जैन ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। आज पत्रकारिता वर्ग से जुड़े भीलवाड़ा संभाग के कई पत्रकारगण शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शनार्थ उपस्थित हुए एवं पावन आशीर्वाद प्रदान प्राप्त किया। आचार्यप्रवर ने प्रेरणा देते हुए कहा कि पत्रकार हवा का काम करते है। जिस प्रकार पुष्प की सुगन्ध हवा से फैलती है उसी प्रकार पत्रकार समाज में अच्छी बातें फैलाने का कार्य करते है। पत्रकारिता में जहां तक हो सके कार्य में नैतिकता, ईमानदारी हो। जनता को भौतिक जगत के साथ-साथ आध्यात्मिक खुराक भी मिलती रहे ऐसा प्रयास रहना चाहिए।
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