समृष्टिवाद का प्रतीक है राम- आचार्य
दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, शाहपुरा। अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय (रामनिवास धाम) मुख्य पीठ शाहपुरा के पीठाधीश्वर जगदगुरू आचार्यश्री रामदयाल महाराज ने फूलडोल महोत्सव के समापन पश्चात आयोजित धर्मसभा में प्रवचन करते हुए रामस्नेही अनुरागियों को राष्ट्र की एकता और अखण्डता के साथ आध्यात्मिक संदेश दिया तथा कहा कि परमपिता परमात्मा सम्पूर्णसंसार के चर अचर सब में समाया हुआ है।
बुधवार को प्रवचन करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि राम प्रत्येक मनुष्य के ह्रदय में विराजमान है। उन्होंने अणभैवाणी का उदरण करते हुए कहा कि स्वामी रामचरण महाप्रभु फरमाते है कि संसार में जन्म लेकर मानव देह धारण किए तो राम का नाम सुमिरन करना अनिवार्य है। क्योंकि संसार के सर्व देवी देवता और यश वैभव सब कुछ राम नाम में समाया हुआ है।
आचार्यश्री ने कहा है कि महापुरूषों ने राम को समृष्टिवाद का पावन प्रतीक माना है। संप्रदाय के जन्मदाता चरित्रसम्राट स्वामीजी रामचरणजी महाराज ने अपनी अणभैवाणी में सहज सरल व सुगम राम नाम की साधना का पावन उपदेश दिया है। राम के संदेश का अर्थ है, राष्ट्र का मंगल करना। आचार्य ने कहा कि राष्ट्र के मंगल के लिए राम नाम की साधना सर्वोपरी है। राम में तीन रकार, अकार, मकार है। रकार से सृष्टि का सृजन होता है। फूलडोल महोत्सव के दौरान रामनिवास धाम में बिराजने वाले संतों की भी प्रसाद ग्रहण करने के मौके पर विशेष पंगत लगती है। बारादरी में प्रवचन के तुंरत बाद आचार्यश्री स्वयं पहुंच कर पंगत को प्रांरभ कराते है बाद में प्रसादी का वितरण होता है तथा रामस्नेही अनुरागी वहां पहुंच कर पंगत का दर्शन करते है। फूलडोल महोत्सव का समापन होते ही आज से रामस्नेही अनुरागियों का शाहपुरा से अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करने का क्रम शुरू हो गया है। नगर पालिका के अस्थाई मेला बाजार में लगी दुकाने भी खुलना प्रांरभ हो गयी है।
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