देश की सबसे बेहतरीन मिट्टी से तैयार हुए गणपति बप्पा घर-घर विराजेंगे इको फ्रेंडली गणेश

पंकज पोरवाल | 09 Sep 2021 02:48

2 साल से आर्थिक संकट झेल रहे लोक कलाकारों को उभारने की कोशिश

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज ,भीलवाड़ा- पर्यावरण को नुकसान और 2 सालों से कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में सभी त्यौहारों की धूम फीकी पड़ चुकी है। लेकिन इस बार औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा में कल गणेश चतुर्थी बहुत ही धूमधाम से मनाने वाला है। जिले में इस बार मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी पूरे देश को नया संदेश देने वाली है। जिले में इस बार देश की सबसे बेहतरीन टेराकोटा मिट्टी से गणपति बप्पा तैयार किए जा रहे है। इस मिट्टी से यहां के लोक कलाकारों ने करीब 500 से ज्यादा गणपति बप्पा की छोटी प्रतिमाएं तैयार की है। जो आने वाली गणेश चतुर्थी को घर-घर विराजमान की जाएगी। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इस मिट्टी से बनने वाली प्रतिमाओं से पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। वहीं इस तरह की पहल भी राजस्थान में पहली बार की जा रही है। जब इतने बड़े स्तर पर टेराकोटा मिट्टी से तैयार गणपति बप्पा जिले के कई घरों में विराजमान होंगे। आकृति कला संस्थान के सचिव कैलाश पालिया ने बताया कि टेराकोटा मिट्टी देश के शिल्पकला में सबसे बड़ा महत्व रखती है। इस मिट्टी से कलाकार सुंदर मूर्तियों को अपने हाथों से ही रूप देते है। इस मिट्टी की खासियत है कि बिना किसी रसायन के मिलावट किए यह बेहतरीन प्रतिमा का आकार ले लेती है। सबसे बड़ी बात है कि मिट्टी से बनी प्रतिमाओं को किसी भी प्रकार से रोकने की आवश्यकता भी नहीं होती है। इस मिट्टी का अभी तक उपयोग राजस्थान की पुरानी परंपराओं को दिखा हुए हेरीटेज स्तर पर बनाई जाने वाली शिल्प कला में किया जा रहा था।

खमनोर की पहाड़ियों के बीच तालाब से आती है मिट्टी

      देश में सबसे बेहतरीन टेराकोटा मिट्टी नाथद्वारा के पास खमनोर की पहाड़ियों के बीच मोलेला के तालाब से निकाली जाती है। इस तरह की मिट्टी और कहीं भी नहीं होती है। इस मिट्टी को देश में हस्तशिल्पियों द्वारा सबसे ज्यादा उपयोग में ली जाती है। हालांकि टेराकोटा मिट्टी देश में कई स्थानों पर मिलती है लेकिन से बांधने के लिए उसमें कुछ केमिकल मिलाने पड़ते है।

2 साल से आर्थिक संकट झेल रहे कलाकारों को मिलेगा सम्बल

      प्रदेश में हो रही इस बड़ी पहल को भीलवाड़ा में आकृति संस्थान की ओर से बढ़ावा दिया जा रहा है। संस्थान की ओर से इस मिट्टी से तैयार घरों में विराजित होने वाली छोटी प्रतिमाएं व बड़ी प्रतिमाओं को कलाकारों के निश्चित किए दर पर लोगों को उपलब्ध करवाई जाएगी।

हमारी पारंपरिक कला है टेराकोटा 

     आकृति संस्थान के सचिव कैलाश पालिया ने बताया कि मिट्टी से प्रतिमाओं को बनाना राजस्थान की परंपरागत कला है। आधुनिक युग में इसे पूरी तरह से भुला दिया गया है। इस 800 साल पुरानी कला को प्रदेश की इस सबसे बड़ी पहल के साथ जिंदा करने की एक छोटी सी कोशिश है।

भीलवाड़ा मौसम

26.16°Cआंशिक बादल
दिनांक उच्चतम निम्नतम
19/0830.23°C22.74°C
20/0829.97°C22.96°C
21/0828.28°C21.32°C
22/0830.34°C22.13°C