शाहपुरा में बारहठ पैनोरमा के लिए भूमि चिन्हित करने के लिए राज्यमंत्री जड़ावत पहुंचे
दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, शाहपुरा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से शाहपुरा में अमरशहीद क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ के नाम से पैनोरमा बनाने की घोषणा के बाद राज्य सरकार ने इसके लिए भूमि चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया है। भूमि चिन्हित होने के बाद उसके आंवटन तथा सरकार की ओर से बजट देने के बाद इसका कार्य प्रांरभ हो सकेगा। यह पैनोरमा चार करोड़ रू की लागत से बनेगा। राजस्थान हेरिटेज कंजर्वेशन प्रमोशन अथॉरिटी के चेयरमैन राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त सुरेंद्र सिंह जाड़ावत बुधवार को शाहपुरा पहुंचे। उन्होंने शाहपुरा नगर पालिका क्षेत्र में समेलिया रोड, कल्याणपुरा सुरली रोड, नगर पालिका कार्यालय के पीछे तथा केकड़ी चैराहा के पास पड़ी भूमि का निरीक्षण किया है तथा उपखंड अधिकारी व तहसीलदार को इस भूमि की विस्तृत विवरण बनाकर भेजने के निर्देश दिये है। इस दौरान एसडीएम सुनीता यादव, तहसीलदार रामकिशोर जांगिड़, नगर पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी, प्रतापसिंह बारहठ सेवा संस्थान के सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत, चित्तौड़गढ़ नगरपालिका पार्षद शैलेंद्र सिंह शक्तावत, पूर्व जिला महासविव अनुसूचित जाति नवरतन जीनगर सहित शाहपुरा सेवादल ब्लॉक अध्यक्ष जयंत जीनगर, नगर अध्यक्ष अमन पौंड्रिक मौजूद रहे। इससे पूर्व सेवादल ब्लॉक अध्यक्ष जयंत जीनगर व नगर अध्यक्ष अमन पौंड्रिक ने जाड़ावत का स्वागत किया। चेयरमैन सुरेंद्र सिंह जाड़ावत ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा उनके प्रस्ताव के अनुरूप की गई है। राजस्थान हेरिटेज कंजर्वेशन प्रमोशन अथॉरिटी ने पैनोरेमा बनाने की रूपरेखा तैयार कर ली है। भूमि का चिन्हिकरण होते ही इस दिशा में कार्य प्रांरभ कर दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है की देश में क्रांति की अलख जगाने वालों में अग्रणी क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ के नाम पर पैनोरमा निर्माण हेतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 4 करोड़ की राशि की स्वीकृती प्रदान की है।जिसकी भूमि चिन्हित करने के लिए धरोहर प्राधिकरण बोर्ड के अध्यक्ष ने स्थानीय अधिकारियों के साथ भूमि का निरीक्षण किया है। केसर सिंह बारहठ और उनके और उनके परिवार वालों का योगदान कभी नहीं भूलाया जा सकता है। उनके भाई जोरावर सिंह और पुत्र प्रताप सिंह बारहठ ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। केसरी सिंह ने सन् 1903 में मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह को दिल्ली दरबार में जाने से रोका। वायसराय लार्ड कर्जन ने ब्रिटेन के राजा एडवर्ड सप्तम के राज्यारोहण के उपलक्ष में दिल्ली में भारतीय राजाओं का एक बहुत बड़ा दरबार आयोजित किया। इसमें राजस्थान के समस्त राजाओं ने भाग लेने की स्वीकृति दे दी। परन्तु स्वाभिमानी मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह ने अनिच्छा प्रकट की। किंतु लार्ड कर्जन के अत्यंत विनम्र एवं चाटुकार दरबारियों के दबाव में उन्होंने भी उस दरबार में उपस्थित होना स्वीकार कर लिया। तब मेवाड़ के महाराणा को दिल्ली दरबार में जाने से रोकने के लिए केसरीसिंह ने अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय देते हुए उसी समय महाराणा के नाम ‘चेतावणी रा चूंग्ट्या’ नामक तेरह सोरठों की रचना की। जिन्हें पढ़कर महाराणा अत्यधिक प्रभावित हुए और ‘दिल्ली दरबार’ में नहीं जाने का निश्चय किया। वह दिल्ली पहुंचे पर समारोह में शामिल नहीं हुए।
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