मोबाइल में रील देखने के कारण बिगड़ रही है मानसिक स्थिति, एमजीएच में एक दर्जन बच्चें पहुंच रहे डॉक्टर के पास
बच्चों को ना देखने दे मोबाइल में रील, बच्चों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा शोर्ट रील का चलन, एमजीएच में रोजाना पहुंच रहे बच्चें
दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, भीलवाड़ा। बच्चों को आप मोबाइल रील देखने में बिजी कर अपने काम में लग जाते है तो सावधान हो जाईये! ऐसा करना उनके मानसिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। बच्चे इन दिनों मोबाइल गेम्स और मोबाइल रील में इतने ज्यादा खो रहे है कि उन्हे रियल लाइफ में क्या चल रहा है इसका पता ही नही लग रहा। अगर आपका बच्चा भी मोबाइल में घंटों तक रील देखता है तो बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मोबाइल की दूनियां में खो जाने के बाद हालात इतने बिगड़ सकते है की मोबाइल ना देने या ना मिलने पर वह इतना क्रोधित व चिड़चिड़ा हो कर वह अपने साथ या दूसरों के साथ कोई भी हिसंक हरकत कर सकता है। मोबाइल में फंसे बच्चे अपने परिवार से भी दूर होते जा रहे है। महात्मा गांधी अस्पताल में ऐसे करीब एक दर्जन केसेज रोज सामने आ रहे है। ऐसे में पेरेंटस को अपने बच्चो की आॅनलाइन गतिविधियों पर नजर रखनी होगी।
जी हां, आधुनिक डिजीटल क्रांति के दौर में इन दिनों सोशल मिडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर बीते लम्बे समय से लगातार बढ़ता शॉर्ट रील देखने का चलन लोगों खासकर बच्चों व युवाओं की सेहत बिगाड़ रहा है। हालत यह है कि लम्बे वक्त तक लगातार छोटे बच्चों द्वारा इन रीलों को देखने से उनके व्यवहार और मानसिक स्थिति भी प्रभावित होने लगी है। बच्चों में नजर धुंधली होना, सिरदर्द और अनिद्रा जैसी अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें भी सामने आने लगी है। उधर बच्चों में रील के प्रति ज्यादा रूचि दिखाये जाने से खुद उनके हाथे में मोबाइल थमाने वाले कई अभिभावक भी चिंतित नजर आने लगे है और इस लत को छुड़वाने के लिये मनोरोग चिकित्सकों की मदद ले रहे है। मनोरोग चिकित्सकों का कहना है की अधिकतर पांच से पन्द्रह साल तक बच्चों द्वारा घंटों तक लगातार मोबाइल पर शॉर्ट रोल देखने के मामले सामने आने लगे है। इनमें कई अभिभावकों ने बताया कि ऐसे बच्चों के स्कूल जाने के समय पर उनसे मोबाइल छीनना पड़ता था। इस लत की वजह से ना सिर्फ उनकी पढ़ाई बल्कि रिजल्ट भी प्रभावित होने लगी। एमजीएच आउटडोर में भी रोजाना करीबएक दर्जन बच्चों को उचित काउंसलिंग के जरिये दिनोंदिन बढ़ती इस लत से छुटकारा दिलाये जाने के हरसंभव प्रयास किये जाते है।
चिकित्सकों की माने तो ऐसे छुड़ाए
मोबाइल लत छुड़ाने के प्रयास धीरे-धीरे करे, मोबाइल देखने की अवधि तय करें। बच्चों का ना तो मोबाइल बंद करें और ना ही इंटरनेट। बच्चों को शॉर्ट रील के अच्छे और बुरे प्रभावों को विस्तार से शांतिपूर्वक समझायें। ऐसी रीलों से कमाई के बारे में सोचने के बारे में भी बच्चों को सही जानकारी देकर समझाइश करें।
बच्चा होने लगा हिंसक,कमरे में हो जाता था बंद
मनोरोग चिकित्सकों का कहना है की अस्पताल में एक केस ऐसा आया जिसमें 15 वर्षीय, नवीं कक्षा के छात्र की एक साल से चिड़चिड़ापन, अभद्र भाषा का उपयोग करने और स्कूल से अनुपस्थिति की शिकायत थी। उसके नंबर गिर रहे थे और जब उसे समय पर पढ़ाई करने और खाना खाने के लिए कहा जाता था तो वह अपने घरवालों के साथ हिंसक हो जाता था। वह अपने कमरे में बंद होकर अपने मोबाइल पर 6-7 घंटे से अधिक समय बिताता था। मनोचिकित्सक द्वारा काउंसलिंग सेशन के दौरान उसने बताया की वह 6 से 7 घंटे रील देख रहा था। इस कारण वह परीक्षा में फेल हो गया। उसमें अवसाद के अन्य लक्षण भी पाए गए। कभी-कभी, उसने अपनी जान लेने के बारे में भी सोचा था, लेकिन प्रयास करने से बहुत डरता था। थेरेपी और दवा से वह ठीक हो गया।
परिजनों को घर छोड़कर जाने की दी धमकी
एक 13 वर्षीय लड़का जो की एक प्राइवेट स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ रहा था। घरवालों ने मनोचिकित्सक से उसके व्यवहार में परिवर्तन के लिए संपर्क किया। बच्चे की काउंसलिंग सेशन लेने पर पता चला की वो भी बहुत ज्यादा इंस्टाग्राम पर रील देखता है और बनाता है, जिसके कारण उसकी पढ़ाई खराब हो गई और जब घरवालों ने उसको समझाने की कोशिश की तो उसने घर छोड़कर जाने की धमकी दी एवं कुछ गोलियां खाकर खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। यही नहीं वह बाकी सभी लोगों से दूर होकर एक काल्पनिक दुनिया में ही रहने लगा। लगातार काउंसलिंग और उपचार द्वारा उसे इस परेशानी से मुक्त करवाया गया।
इनका कहना है:-
आवश्यक काउंसलिंग और उपचार शुरू करना जरूरी
आजकल बच्चे शॉर्ट रील देखना बहुत ज्यादा पंसद कर रहे है। इसका चलन काफी बढ़ गया है। लगातार रील देखने से दिमाग में डोपामिन का स्त्राव होता है जो की खुशी और खुशी की भावनाओं से जुड़ा हुआ केमिकल होता है।। ऐसे में रील देखने की इच्छा बढ़ जाती है। ऐसे में वह इस कुचक्र में फंस जाता है। उसे रील छुड़ाने के लिए काफी मुश्किलें आ जाती है। रील नहीं देखने पर धीरे-धीरे वह पढ़ाई से दूर हो जाता है और उसकी प्रवृति हिंसक व नशे की ओर चली जाती है। इसलिए जरुरी है की तुरंत मनोचिकित्सक से मिलकर आवश्यक काउंसलिंग और उपचार शुरू करा उसे वापस मुख्यधारा में लाया जाए। बच्चों को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए भेजे। डॉ. प्रियंक जैन, मनोरोग विशेषज्ञ, एमजीएच, भीलवाड़ा
बच्चों को रील्स से दूर कर उन्हें अन्य एक्टिविटी से जोड़े
रील देखने की वजह से बच्चों का मानसिक स्तर लगातार बिगड़ता चला जा रहा है। बच्चें अदर एक्टिविटी से दूर हो रहे है। अन्य बच्चों से जुड़ाव कम हो रहा है। बच्चें उस मानसिक लेवल तक नहीं पहुंच पा रहे है जितना होना चाहिए। बच्चों को रील्स से दूर कर उन्हें अन्य एक्टिविटी से जोड़े। डॉ. नवीन बैरवा, मनोचिकित्सक, एमजीएच,