भर्ती परीक्षा से पहले 6500 अभ्यर्थियों ने लिया नाम वापस, RSSB अध्यक्ष बोले- फर्जी अभ्यर्थियों के खिलाफ करेंगे केस
दैनिक भीलवाड़ा न्यूज। राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही धांधली को रोकने के लिए कर्मचारी चयन बोर्ड में अनूठी पहल शुरू की है। इसके तहत बोर्ड ने भर्ती परीक्षा के आयोजन से पहले ही अयोग्य अभ्यर्थियों से अपना नाम वापस लेने की अपील की थी। ऐसा नहीं करने पर अभ्यर्थी के खिलाफ FIR करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद राजस्थान में होने वाली 10 भर्ती परीक्षाओं के आयोजन से पहले ही 7 दिन में 6 हजार 500 अभ्यर्थियों ने अपना नाम वापस ले लिया है।
कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने बताया- बोर्ड द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में पिछले लंबे वक्त से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी गलत जानकारी देकर आवेदन कर रहे थे। इसकी वजह से भर्ती परीक्षा के आयोजन के बाद पात्र और योग्य अभ्यर्थियों को परेशान होना पड़ता था। ऐसे में इस बार भर्ती परीक्षा के आयोजन से पहले ही बोर्ड ने 7 दिन का वक्त देकर गलत दस्तावेजों के माध्यम से आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को अपना नाम वापस लेने की सख्त हिदायत दी थी।
कानूनी कार्रवाई की जाएगी
इसे मानते हुए 6500 अभ्यर्थियों ने भविष्य में होने वाली भर्ती परीक्षाओं के आयोजन से पहले ही अपना नाम वापस ले लिया है। लेकिन अगर इसके बाद भी किसी अभ्यर्थी ने बोर्ड द्वारा दी गई इस छूट के बावजूद अगर किसी ने भर्ती में अयोग्य होते हुए भी आवेदन वापस नहीं लिया। तो पात्रता जांच के बाद बोर्ड द्वारा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
10 भर्तियों की विज्ञप्ति में संशोधन जारी किया था
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 10 भर्तियों की विज्ञप्ति में संशोधन जारी किया था। इनमें पशु परिचर भर्ती, पर्यवेक्षक महिला अधिकारिता भर्ती, छात्रावास अधीक्षक ग्रेड द्वितीय भर्ती, पर्यवेक्षक महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती, छात्रावास अधीक्षक अल्पसंख्यक मामलात भर्ती, पर्यवेक्षक महिला भर्ती, लिपिक ग्रेड द्वितीय कनिष्ठ सहायक भर्ती, शीघ्र लिपिक भर्ती, कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती (4 ट्रेड), कनिष्ठ अनुदेशक भर्ती (16 ट्रेड) शामिल थी। ऐसे में अब इन भर्तियों में अयोग्य होने पर आवेदन करने वालों सभी अभ्यर्थियों के खिलाफ बोर्ड कानूनी कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है। बता दें कि इससे पहले राजस्थान लोक सेवा आयोग ने कॉलेज व्याख्याता भर्ती में भी ऐसे अयोग्य अभ्यर्थियों की पहचान कर उन्हें आवेदन वापस लेने का मौका दिया था। जिसके बाद अब कर्मचारी चयन आयोग ने इस प्रक्रिया को अपनाते हुए अपनी हर भर्ती में इस तरह का प्रावधान लागू कर रहा है।
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