बीते युग में इंसान से प्रेम था, पैसों का उपयोग,आज पैसों से प्रेम है, इंसान का उपयोग- मुनि अतुल

धर्मेन्द्र कोठारी | 24 Feb 2022 06:47

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, भीलवाड़ा। युग प्रधान आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार तेरापंथ भवन पुर विराज रहे है। सांय कालीन प्रवचन माला में मुनि अतुल कुमार ने कहा पैसा रास्ता है मंजिल नहीं। यह ठीक है पैसों से काफी मुश्किलें हल हो जाती है पर अशांति, तनाव, स्ट्रेस, डिप्रेशन, बेचैनी, हैरानी,परेशानी यह सब भी पैसों की वजह से हो रहा है। बुद्ध पुरुषों ने परम शांति के लिए महलों को छोड़ दिया और लोग महलों के लिए परम शांति छोड़ रहे है। टूट जाते है वह रिश्ते जो खास होते हैं हजारों रिश्ते बनते हैं जब पैसे पास होते है इंसान प्यार करने के लिए होता है और पैसा इस्तेमाल करने के लिए, पर दर्द तब होता है जब पैसों से प्यार करते है और इंसान को इस्तेमाल करते है। मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए लेकिन वक्त निकल रहा है कागज के टुकड़े पाने के लिए।

 मुनि ने कहा आवश्यकता और आकांक्षा में बहुत अंतर होता है। हर इंसान अपनी जरूरतें पूरी करता है किंतु जरूरतें कब ख्वाहिशों में बदल जाती है पता ही नहीं चलता। इंसान की यह अंधी दौड़ कभी बंद नहीं होने वाली है। धन धन करते-करते निधन हो जाता है। जब तक जन्म लेने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं होगा तब तक इंसान को कोई शांति नहीं मिलेगी। अंबानी ग्रुप जो भारत का पॉपुलर और धनाढ्य ग्रुप है सुना है भारत में सबसे बड़ा घर एंटीलिया ले जो अंबानी परिवार का है मुंबई में वह भी उससे संतुष्ट नहीं है। उससे भी बड़ा घर बनाना चाहते है, आने वाला समय कह रहा है वह बड़ा और सद्गुणी होगा जिसके पास पैसा होगा। मैंने ऐसे लोग देखे है जिनके पास दौलत तो खूब है पर आंतरिक समृद्धि नहीं आंतरिक समृद्धि यानी भीतर का ठहराव भीतर में वह दरिद्र ही है। ऐसे से करोड़पति देखे हैं जिनका 100 का नोट गुम हो जाए तो बेचैन परेशान हो जाते है क्योंकि वास्तविकता से उनका कोई परिचय नहीं है। पैसों को अधिक महत्व देने से संबंध खराब होने लगते है।वर्तमान युग में दो महामारीयां चल रही है ज्यादा पैसा और कैसे भी पैसा ज्यादा पैसा तो समझ में आता है पर कैसे भी पैसा यह समझ में नहीं आता। पैसों के लिए पारिवारिक विघटन मानवता की घात पल-पल हो रही है मां-बाप अकेले रहते हैं और बेटा बहू धन कमाने के लिए परदेस  बेटा पोता पोती होने का तो सुख है पर उनसे कोई सुख नहीं जहां पैसा है वहां बुड्ढों की भी शादी हो जाती है नहीं तो अच्छे भले कुंवारे रह जाते है। पर ध्यान रखना इंसान की वास्तविक पूंजी उसके विचार है मुनि ने कहा मैंने देखा है लाखों करोड़ों के मकान में डनलप के गद्दे पर लोगों को नींद नहीं आती पर एक रिक्शा वाला जब थक जाता है तो वृक्ष के नीचे रिक्शा खड़ी कर के वही सो जाता है और कुछ देर में ही खर्राटे खींचने लग जाता है। इसका कारण हमें समझना होगा की बड़ा कौन है सोने की चैन वाला या चैन की नींद सोने वाला सारांश की भाषा में मुनि ने कहा आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में रिश्ते कहीं ना कहीं पीछे छूटते जा रहे है। व्यक्ति केवल पैसों से ही समृद्ध न बने अपितु आंतरिक समृद्धि लाते हुए अपना जीवन सुखमय बनाने का प्रयास करे।

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