तेरापंथ धर्म संघ की अमरबेल थी शासन माता - मुनि अतुल कुमार

धर्मेन्द्र कोठारी | 17 Mar 2022 03:12

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज़, भीलवाड़ा युग प्रधान आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार के सानिध्य में शासन माता साध्वी प्रमुखा की स्मृति में प्रवचन हुए। मुनि रविंद्र कुमार ने कहा शासन माता साध्वी प्रमुखा एवं मेरी दीक्षा साथ में केलवा में हुई थी । साध्वी प्रमुखा ने तेरापंथ धर्म संघ को अविस्मरणीय सेवाएं प्रदान की। कनक प्रभा गणाधिपति गुरुदेव तुलसी की महनीय कृति थी । उनकी रिक्तता की पूर्ति नहीं की जा सकती । तेरापंथ धर्म संघ के विशाल साध्वी समाज की सार संभाल वे करती थी । सच में एक अध्याय संपन्न हो गया । मुनि अतुल कुमार ने कहा आचार्य तुलसी से लेकर आचार्य महाश्रमण की अनुशासना में बढने वाली अमरबेल आज अमरत्व को प्राप्त हो गई । साध्वी प्रमुखा विदुषी, साहसी, निर्भीक व सृजनकर्ता थी । मात्र 30 वर्ष की आयु एवं 11 वर्ष के दीक्षा पर्याय में, विराट साध्वी समुदाय में, सर्वोच्च पद प्राप्त किया। गंगाशहर मर्यादा महोत्सव के अवसर पर साध्वी प्रमुखा के पद पर प्रतिष्ठित हुई । विनय, विवेक ,समझदारी का परिचय देते हुए साध्वी सेवा केंद्रों की नियुक्ति, सिंघाड़े की व्यवस्था एवं साध्वी समाज की सार संभाल बड़ी कुशलता से की । हर एक को आगे बढ़ाने की कला उनके रग-रग में बसी हुई थी । प्रमुखाजी का नेतृत्व पाकर साध्वी और समणियां ऊंचाइयों को छू गई । श्रम की कोई कमी नहीं रखी । श्रावकों को विकास कराना है, प्रबुद्ध महिला समाज बनाना है, शुभ निर्माण कराना है, साध्वी प्रमुखा का चिंतन सदैव शुभ रहा ।

गुरुदेव तुलसी की आत्मकथा मेरा जीवन मेरा दर्शन में अपनी लेखनी से एक कीर्तिमान उकेर दिया । आचार्य तुलसी ने साध्वी प्रमुखा के लिए फरमाया "साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा ने हमारे संघ का जो गौरव बढ़ाया है, हमारे संघ में जो महिला समाज की जागृति के लिए जो काम किया है, मैं समझता हूं हमारी आज तक की जितनी साध्वी प्रमुखाऐं हैं । उन सभी साध्वी प्रमुखाओं को छेक गई है ये ।"आचार्य तुलसी ने अपने बराबर पट पर बैठने की आज्ञा प्रदान करके नारी जाति का सम्मान बढ़ाया एवं कनक प्रभा जी के योग्यताओं का मूल्यांकन किया। मुनि ने कहा आज ऐसा लगा जैसे एक महाज्योति का महाप्रयाण हो गया। यह क्षति संपूर्ण तेरापंथ धर्म संघ को पहुंची है। साध्वी प्रमुखा जिनका बचपन का नाम कला था। सच में कला में अनंत कलायें थी। अपनी प्रज्ञा की रश्मियों से तेरापंथ धर्म संघ एवं मानव जाति को आलोकित किया ।

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