भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग

बद्री लाल माली | 11 Jun 2023 08:54

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, गुरला। गुरला नेशनल हाईवे 758 स्थित बालिका स्कूल में श्रीमद् भागवत कथा में श्री बालाजी धाम अरनिया-धारडी के कथावाचक घनश्याम वैष्णव ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। 

जो दशम स्कन्ध–उत्तरार्ध  इसमे भगवान की ‘ऎश्वर्य’ लीला’ का वर्णन है जहां भगवान ने बांसुरी छोडकर सुदर्शन चक्र धारण किया उनकी कर्मभूमि, नित्यचर्या, गृहस्थ, का बडा ही अनुपम वर्णन है। श्रद्धालुओं ने भगवा श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग को एकाग्रता से सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। प्रसंग में वैष्णव ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।आसपास के क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया।

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