आज से सावन शुरू: 8 सोमवार के साथ 2 माह चलेगा सावन का महीना, शिव आस्था और भक्ति का पवित्र श्रावण मास

दैनिक भीलवाड़ा | 04 Jul 2023 05:40

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज। आज (मंगलवार) सावन का पहला दिन है। इस बार अधिक मास की वजह से सावन दो महीनों का है। 4 जुलाई से 31 अगस्त की सुबह तक सावन रहेगा और फिर भाद्रपद मास शुरू होगा। रक्षा बंधन 30 अगस्त को मनाया जाएगा। इस महीने में शिव जी का अभिषेक करने की परंपरा है। शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप कर सकते हैं। आज से 31 अगस्त तक 16 दिन सर्वार्थसिद्धि, अमृत सिद्धि, द्विपुष्कर जैसे शुभ योग रहेंगे। इन योगों में पूजा-पाठ के साथ खरीदारी भी की जा सकती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। ऐसे में सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में रहता है। अधिकमास के चलते इस बार चातुर्मास चार के बजाय पांच महीनों का होगा। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है।  इस वर्ष सावन 58 दिनों का होगा यानी शिवजी की पूजा-पाठ और भक्ति के लिए सावन का महीना दो माह का होगा। 4 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा।

19 साल बाद सावन में अधिक मास

2023 से पहले 2004 में भी सावन महीने में अधिक मास आया था। सावन मास में दो चतुर्थियां, दो एकादशियां, हरियाली अमावस्या, नाग पंचमी, रक्षाबंधन मनाया जाएगा। अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा और इस पूरे महीने में व्रत-उपवास और पूजा-पाठ किए जाएंगे।

सावन के दूसरे सोमवार पर सोमवती अमावस्या है। सातवें सोमवार को नाग पंचमी और आखिरी सोमवार को प्रदोष व्रत रहेगा। इस साल रक्षा बंधन (30 अगस्त) पर भद्रा की वजह से राखी बांधने के लिए दिन में कोई मुहूर्त नहीं होगा। रात में 9 बजे बाद रक्षाबंधन मनाया जा सकेगा।

सावन महीने का महत्व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना पांचवां महीना होता है। आषाढ़ खत्म होते ही श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाता है। इस माह को श्रावण के नाम से भी जाना जाता है। श्रावण का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है। भोले भंडारी को सावन का महीना प्रिय होने के पीछे एक कथा है, दरअसल सावन के महीने ही मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। पूरे सावन महीने के दौरान हर दिन शिवजी की पूजा-उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामना जल्दी पूरी होती हैं। सावन के महीने में सोमवार व्रत, मासिक शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है।

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