शिक्षक दिवस पर विशेष: शिक्षक कभी बुलंदियों पर नहीं पहुंचते लेकिन बुलंदियों पर पहुंचने वालों को शिक्षक ही निर्मित करते हैं

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज | 05 Sep 2022 06:45

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुट्टनी में हुआ था। वे एक शिक्षक, दार्शनिक, लेखक और राजनीतिज्ञ थे। शैक्षिक जगत में उनका योगदान अविस्मरणीय व अतुलनीय रहा है। शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्रों को परिचित कराना तथा उन्हें सही मार्ग दिखाना भी होता है और राधाकृष्णन समाज के ऐसे ही शिल्पकार थे, जो बिना किसी मोह के समाज को तराशने का कार्य किया करते थे। ऐसे महान दार्शनिक, शिक्षाविद , लेखक एवं राजनीतिज्ञ के जन्मदिन को ही भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के महत्व के लिए वे जाने जाते हैं। वे एक भारतीय संस्कृति के ज्ञानी, दार्शनिक और वक्ता और आदर्श शिक्षक थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कई किताबें लिखीं, जिनमें 'धर्म और समाज, भारत और विश्व, गौतम बुद्ध: जीवन और दर्शन' उनकी प्रमुख किताबें हैं।  

शिक्षक का महत्व- किसी भी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, शिक्षक समाज के उन आदर्श व्यक्तियों में से एक है जिनके कंधों पर देश के भविष्य को उज्जवल बनाने का दारोमदार होता है। एक अच्छा टीचर ही एक सभ्य समाज का निर्माता हो सकता है। अध्यापकों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होना चाहिए क्योकि, हमारी जिंदगी को सही आकार देने में इनका बहुत बड़ा हाथ है। वे गुरु ही है जो हमारे प्रथम मार्गदर्शक होते और हमें अनुशासित जीवन जीना सिखाते है, जिससे हम सही-गलत में भेद कर पाते हैं।

भारत की पहली महिला शिक्षिका- सावित्रीबाई फुले का भारतीय बालिका शिक्षा के लिए उनके दिए गए योगदान का पूरा राष्ट्र कृतज्ञ है। उन्होंने बालिका शिक्षा पर जोर देने के साथ ही उनके लिए विद्यालय खोलने की भी शुरूआत की और समाज में फैली कई कुरीतियों का डटकर सामना किया।

डॉ.राधाकृष्णन को मिले सम्मान व अवार्ड

शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए डॉ. राधाकृष्णन को सन 1954 में सर्वोच्च अलंकरण “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया. 1962 से राधाकृष्णन जी के सम्मान में उनके जन्म दिवस 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई| सन 1962 में डॉ. राधाकृष्णन को “ब्रिटिश एकेडमी” का सदस्य बनाया गया. पोप जॉन पाल ने इनको “गोल्डन स्पर” भेट किया. इंग्लैंड सरकार द्वारा इनको “आर्डर ऑफ़ मेंरिट” का सम्मान प्राप्त हुआ. किसी महान देश को महान बनाने के लिए माता-पिता एवं शिक्षक ही जिम्मेदार होते हैं ।

  • जी एस दायमा

 पूर्व वरिष्ठ बैंक अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता

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