ये लापरवाही जानलेवा है... मरीजों की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रहे झोलाछाप, विभाग कर रहा बड़े हादसे का इंतजार

दैनिक भीलवाड़ा | 10 Nov 2022 12:19

जहाजपुर चिकित्सालय में ओपीडी समय डॉक्टर रहते नदारद, घर पर पैसे देकर दिखाने को मरीज मजबूर

दैनिक भीलवाड़ा न्यूज, जहाजपुर। उपखंड मुख्यालय पर स्थित राजकीय स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों के लिए सुविधा का अभाव है। सरकारी अस्पताल में रोजाना मरीज पहुंच रहे है। बदलते मौसम के चलते लोग बीमारी की चपेट में आ रहे है। इसके बावजूद चिकित्सक नियमित रूप से ओपीडी में अपने कक्षों में नहीं बैठ रहे है। आए हुए मरीजों को राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा फ्री इलाज नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को डॉक्टरों के घरों में या फिर झोलाछाप के यहां जाना पड़ रहा है। जहाजपुर में मरीजों को पैसे देकर इलाज कराना उनकी मजबूरी बन रही है। क्योंकि जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण यहां चिकित्सकों की कमी है. जिसका फायदा या मौजूद चिकित्सक अधिकारी और झोलाछाप फर्जी डॉक्टर उठा रहे हैं। बिना किसी डिग्री के गरीब मरीजों का इलाज करने वाले झोलाछाप फर्जी डॉक्टरों ने ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर कस्बे सहित ग्रामीण अंचलों में अड्डा जमाकर बैठे हुए हैं। इस धंधे से ये मोटा मुनाफा कमाते हुए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं ये दवा के नाम पर गरीब और बेसहारा परिवार को ज्यादा ठग रहे हैं। इन्होने मेडिकल प्रोफेशन को फर्जी तरीके से हाईजैक कर रखा है और उसे अपनी कमाई का जरिया बनाया हैं झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं इनकी दुकानें दिनों दिन बढ़ती जा रहीं हैं इसका एक कारण ये भी है चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह है और बड़ा हादसा होने का इंतजार कर रहे हैं।

क्षेत्रों में एक या दो नहीं बल्कि कई ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक्स खोल रखे हैं. इनके पास ना तो डिप्लोमा है ना ही डिग्री. अधकचरी जानकारी के साथ वे कई गांवों के ‘डॉक्टर साहब’ बन बैठे हैं. ग्रामीण इलाकों में अपनी कमाई का जरिया बनाए हुए झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. लेकिन गलती सिर्फ झोलाछाप डॉक्टरों की नहीं है. इनके पास इलाज कराने पहुंचने वाले लोग जरुरी नहीं की अनपढ़ हैं. कई लोग पढ़े लिखे भी होते हैं. आखिर क्या कारण है कि लोग मुफ्त का इलाज छोड़कर भी पैसे देने के लिए इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं. जमीनी हकीकत जानने के लिए हमने एक मरीज से बात कि तो उस ने बताया कि सरकारी चिकित्सालय में चिकित्सक का बर्ताव ठीक नहीं होता. डॉक्टर न तो जांच करते हैं ना बात, बस दूर से देख कर दवा पर्चा लिख कर चलता कर दिया जाता है ओपीडी में अपने कक्षों में डॉक्टर नही मिलते है।

एक कमरे का क्लीनिक, जहां झोलाछाप डॉक्टर कर रहे इलाज

शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में एक कमरे क्लीनिक संचालित हो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि यहां मरीजों को भर्ती कर झोलाछाप डॉक्टर उपचार कर रहे हैं। इसकी जानकार प्रशासान व स्वास्थ्य विभाग को भी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज औपचारिकता ही की जा रही है, जिससे मरीजों की जान खतरे में है।

ऐसे चल रही है इनकी दुकान

इन दिनों ग्रामीण हो या शहर लोग मौसमी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जिसका फायदा बिना पंजीकृत क्लीनिक चलाने वाले झोलाछाप चिकित्सक उठा रहे हैं। जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल फैला हुआ है, जो इलाज के नाम लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके बावजूद अवैध क्लीनिकों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं की जा रही है। एक दो कमरे की क्लीनिक में मरीजों को भर्ती तक किया जाता है। केस बिगड़ने पर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।


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