चैत्र कृष्ण अष्टमी 1 अप्रैल को; रविवार को रांधा-पुआ के दिन तैयार होगी शीतला माता की प्रसादी
दैनिक भीलवाड़ा न्यूज। अप्रैल महीने की शुरुआत इस बार शीतला माता की पूजा से होगी। सोमवार एक अप्रैल को चैत्र कृष्ण सप्तमी के दिन ही बास्योड़ा लोकपर्व मनाया जाएगा। यानी शीतलाष्टमी का त्योहार इस बार सप्तमी को ही मनाया जाएगा, जबकि रांधा-पुआ रविवार को मनेगा, जिसमें वैष्णव जनों के घरों में माता शीतला को अर्पित होने वाले व्यंजन बनाए जाएंगे।
खास बात यह है कि इस बार अष्टमी के दिन मंगलवार आने से शीतला माता को ठंडे व्यंजनों का भोग एक दिन पहले सोमवार को चढ़ाया जाएगा, क्योंकि ज्योतिष शास्त्रों में मंगलवार को गर्म और सोमवार को शीतल दिन माना गया है। इसी तरह चैत्र की छठ के दिन रांधा पुआ व सप्तमी को बास्योड़ा पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि शीतला माता की पूजा और व्रत करने से चेचक समेत कई बीमारियां और संक्रमण से बचाव होता है। ये समय शीत ऋतु के जाने और ग्रीष्म ऋतु के आने का भी है।
ठंडा खाने की परंपरा
शीतला माता का ही व्रत ऐसा है, जिसमें शीतल यानी ठंडा भोजन करते हैं। इस व्रत पर एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन करने की परंपरा है। इसलिए व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव हो जाता है। इस पर्व से इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक शीतला माता की पूजा और इस व्रत में ठंडा खाने से संक्रमण और अन्य बीमारियां नहीं होती।
बीमारियों से बचने के लिए व्रत
माना जाता है कि देवी शीतला चेचक और खसरा बीमारियों को नियंत्रित करती हैं और लोग उन बीमारियों को दूर करने के लिए पूजा करते हैं। सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं अपने परिवार और बच्चों की सलामती के लिए और घर में सुख, शांति के लिए बास्योड़ा के दिन प्रसादी बनाकर अगले दिन माता को पूजा जाता है।
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